बगलामुखी चालीसा ।। दोहा ।। नमो महाविधा बरदा, बगलामुखी दयाल | स्तम्भन क्षण में करे, सुमरित अरिकुल काल || ।। चौपाई ।। नमो नमो पीताम्बरा भवानी, बगलामुखी
माँ बगलामुखी चालीसा
।। दोहा ।।नमो महाविधा बरदा, बगलामुखी दयाल |
स्तम्भन क्षण में करे, सुमरित अरिकुल काल ||
।। चौपाई ।।
नमो नमो पीताम्बरा भवानी, बगलामुखी नमो कल्यानी | 1|
भक्त वत्सला शत्रु नशानी, नमो महाविधा वरदानी |2 |
अमृत सागर बीच तुम्हारा, रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा |3 |
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना, पीताम्बर अति दिव्य नवीना |4 |
स्वर्णभूषण सुन्दर धारे, सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे |5 |
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला |6 |
भैरव करे सदा सेवकाई, सिद्ध काम सब विघ्न नसाई |7 |
तुम हताश का निपट सहारा, करे अकिंचन अरिकल धारा |8 |
तुम काली तारा भुवनेशी,त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी |9 |
छिन्नभाल धूमा मातंगी, गायत्री तुम बगला रंगी |10|
सकल शक्तियाँ तुम में साजें, ह्रीं बीज के बीज बिराजे |11 |
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन |12 |
दुष्टोच्चाटन कारक माता, अरि जिव्हा कीलक सघाता |13 |
साधक के विपति की त्राता, नमो महामाया प्रख्याता |14 |
मुद्गर शिला लिये अति भारी, प्रेतासन पर किये सवारी |15 |
तीन लोक दस दिशा भवानी, बिचरहु तुम हित कल्यानी |16 |
अरि अरिष्ट सोचे जो जन को, बुध्दि नाशकर कीलक तन को |17 |
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके,हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके |18 |
चोरो का जब संकट आवे, रण में रिपुओं से घिर जावे |19 |
अनल अनिल बिप्लव घहरावे, वाद विवाद न निर्णय पावे |20 |
मूठ आदि अभिचारण संकट, राजभीति आपत्ति सन्निकट |21 |
ध्यान करत सब कष्ट नसावे, भूत प्रेत न बाधा आवे |22 |
सुमरित राजव्दार बंध जावे,सभा बीच स्तम्भवन छावे |23 |
नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर, खल विहंग भागहिं सब सत्वर |24 |
सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी |25 |
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक, नमो नमो पीताम्बर सोहक |26 |
तुमको सदा कुबेर मनावे, श्री समृद्धि सुयश नित गावें |27 |
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता, दुःख दारिद्र विनाशक माता |28 |
यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता, शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता | 29 |
पीताम्बरा नमो कल्यानी, नमो माता बगला महारानी |30 |
जो तुमको सुमरै चितलाई,योग क्षेम से करो सहाई |31 |
आपत्ति जन की तुरत निवारो, आधि व्याधि संकट सब टारो |32 |
पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूँ निहोरी |33 |
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया, हाथ जोड़ शरणागत आया |34 |
जग में केवल तुम्हीं सहारा, सारे संकट करहुँ निवारा |35 |
नमो महादेवी हे माता, पीताम्बरा नमो सुखदाता |36 |
सोम्य रूप धर बनती माता, सुख सम्पत्ति सुयश की दाता |37 |
रोद्र रूप धर शत्रु संहारो, अरि जिव्हा में मुद्गर मारो |38 |
नमो महाविधा आगारा,आदि शक्ति सुन्दरी आपारा |39 |
अरि भंजक विपत्ति की त्राता, दया करो पीताम्बरी माता | 40 |
।। दोहा ।।
रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं, अरि समूल कुल काल |
मेरी सब बाधा हरो, माँ बगले तत्काल ||
।। इति बगलामुखी चालीसा समाप्त ।|
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