अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है।

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अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है। भारत की आत्मा को जानना है तो "सनातन धर्म" को समझना होगा। यह कोई मज़हब नहीं, बल्कि एक जीवन जीने की वैज्ञानिक, दार्शनिक और..

अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है।

भारत की आत्मा को जानना है तो "सनातन धर्म" को समझना होगा। यह कोई मज़हब नहीं, बल्कि एक जीवन जीने की वैज्ञानिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक पद्धति है। सनातन का अर्थ होता है – शाश्वत, जो न कभी शुरू हुआ और न ही कभी समाप्त होगा।

सनातन धर्म वह आध्यात्मिक परंपरा है, जो ऋग्वेद से लेकर भगवद गीता तक फैली है और जो वेद, उपनिषद, पुराण, योग, आयुर्वेद, ज्योतिष, वास्तु, और कर्म-सिद्धांत पर आधारित है। यह धर्म प्रकृति के साथ संतुलन, आत्मा की शुद्धता, और मुक्ति की खोज पर आधारित है।

इसके कुछ ऐतिहासिक प्रमाण है
वेद (1500 ईसा पूर्व या उससे भी पहले) – विश्व की सबसे पुरानी ज्ञात धार्मिक ग्रंथ।
हड़प्पा सभ्यता (3300 ईसा पूर्व) में भी शिवलिंग, योग मुद्रा, अग्नि पूजा जैसे प्रतीक पाए गए हैं।
यूनान, रोम, मिस्र जैसे प्राचीन सभ्यताओं ने भारतीय गणना, ज्योतिष और तंत्र से प्रेरणा ली।
आधुनिक वैज्ञानिक जैसे ओपेनहाइमर, निकोला टेस्ला, और कार्ल जंग भी वेदांत और गीता से प्रभावित रहे।

गणित और ज्योतिष पर प्रभाव् है :
शून्य का आविष्कार – आर्यभट्ट
पाइ (π) की गणना – वैदिक गणित में उल्लेख
ज्योतिषीय गणना से आज भी सूर्यग्रहण-चंद्रग्रहण पूर्वानुमानित होते हैं।

33 करोड़ नहीं 33 कोटी देवी देवता हैँ हिंदू धर्म में ;

कोटि का मतलब होता है प्रकार ।
देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते हैं ।
कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता ।
हिंदू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उड़ाई गयी की हिन्दूओं के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...

कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिंदू धर्म में :-
12 प्रकार हैँ :- आदित्य , धाता, मित, आर्यमा, शक्रा, वरुण, अँशभाग, विवास्वान, पूष, सविता, तवास्था, और विष्णु...!
8 प्रकार हैं :- वासु:, धरध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।
11 प्रकार हैं :- रुद्र: ,हरबहुरुप, त्रयँबक, अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,
रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली। एवँ
दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार ।
कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी

अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है ।
तो इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगो तक पहुचाएं ।

यह बहुत ही अच्छी जानकारी है इसे अधिक से अधिक लोगों में बाँटिये और इस कार्य के माध्यम से पुण्य के भागीदार बनिये ।

एक हिंदू होने के नाते जानना आवश्यक है । अपने भारत की संस्कृति को पहचानें। ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुचायें। खासकर अपने बच्चों को बताए क्योंकि ये बात उन्हें कोई दुसरा व्यक्ति नहीं बताएगा...

दो पक्ष-
  • कृष्ण पक्ष ,
  • शुक्ल पक्ष !
तीन ऋण -
  • देव ऋण ,
  • पितृ ऋण ,
  • ऋषि ऋण !
चार युग -
  • सतयुग ,
  • त्रेतायुग ,
  • द्वापरयुग ,
  • कलियुग !
चार धाम -
  • द्वारिका ,
  • बद्रीनाथ ,
  • जगन्नाथ पुरी ,
  • रामेश्वरम धाम !
चारपीठ -
  • शारदा पीठ ( द्वारिका )
  • ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )
  • गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,
  • शृंगेरीपीठ !
चार वेद-
  • ऋग्वेद ,
  • अथर्वेद ,
  • यजुर्वेद ,
  • सामवेद !
चार आश्रम -
  • ब्रह्मचर्य ,
  • गृहस्थ ,
  • वानप्रस्थ ,
  • संन्यास !
चार अंतःकरण -
  • मन ,
  • बुद्धि ,
  • चित्त ,
  • अहंकार !
पञ्च गव्य -
  • गाय का घी ,
  • दूध ,
  • दही ,
  • गोमूत्र ,
  • गोबर !
पञ्च देव -
  • गणेश ,
  • विष्णु ,
  • शिव ,
  • देवी ,
  • सूर्य !

पंच तत्त्व -
  • पृथ्वी ,
  • जल ,
  • अग्नि ,
  • वायु ,
  • आकाश !
छह दर्शन -
  • वैशेषिक ,
  • न्याय ,
  • सांख्य ,
  • योग ,
  • पूर्व मिसांसा ,
  • दक्षिण मिसांसा !
सप्त ऋषि -
  • विश्वामित्र ,
  • जमदाग्नि ,
  • भरद्वाज ,
  • गौतम ,
  • अत्री ,
  • वशिष्ठ और कश्यप!

सप्त पुरी -
  • अयोध्या पुरी ,
  • मथुरा पुरी ,
  • माया पुरी ( हरिद्वार ) ,
  • काशी ,
  • कांची
  • ( शिन कांची - विष्णु कांची ) ,
  • अवंतिका और
  • द्वारिका पुरी !
आठ योग -
  • यम ,
  • नियम ,
  • आसन ,
  • प्राणायाम ,
  • प्रत्याहार ,
  • धारणा ,
  • ध्यान एवं
  • समािध !
आठ लक्ष्मी -
  • आग्घ ,
  • विद्या ,
  • सौभाग्य ,
  • अमृत ,
  • काम ,
  • सत्य ,
  • भोग ,एवं
  • योग लक्ष्मी !
नव दुर्गा --
  • शैल पुत्री ,
  • ब्रह्मचारिणी ,
  • चंद्रघंटा ,
  • कुष्मांडा ,
  • स्कंदमाता ,
  • कात्यायिनी ,
  • कालरात्रि ,
  • महागौरी एवं
  • सिद्धिदात्री !
दस दिशाएं -
  • पूर्व ,
  • पश्चिम ,
  • उत्तर ,
  • दक्षिण ,
  • ईशान ,
  • नैऋत्य ,
  • वायव्य ,
  • अग्नि
  • आकाश एवं
  • पाताल !
मुख्य 11 अवतार -
  • मत्स्य ,
  • कच्छप ,
  • वराह ,
  • नरसिंह ,
  • वामन ,
  • परशुराम ,
  • श्री राम ,
  • कृष्ण ,
  • बलराम ,
  • बुद्ध 
  • कल्कि !
बारह मास -
  • चैत्र ,
  • वैशाख ,
  • ज्येष्ठ ,
  • अषाढ ,
  • श्रावण ,
  • भाद्रपद ,
  • अश्विन ,
  • कार्तिक ,
  • मार्गशीर्ष ,
  • पौष ,
  • माघ ,
  • फागुन !
बारह राशी -
  • मेष ,
  • वृषभ ,
  • मिथुन ,
  • कर्क ,
  • सिंह ,
  • कन्या ,
  • तुला ,
  • वृश्चिक ,
  • धनु ,
  • मकर ,
  • कुंभ ,
  • कन्या !
बारह ज्योतिर्लिंग -
  • सोमनाथ ,
  • मल्लिकार्जुन ,
  • महाकाल ,
  • ओमकारेश्वर ,
  • बैजनाथ ,
  • रामेश्वरम ,
  • विश्वनाथ ,
  • त्र्यंबकेश्वर ,
  • केदारनाथ ,
  • घुष्नेश्वर ,
  • भीमाशंकर ,
  • नागेश्वर !

पंद्रह तिथियाँ -
  • प्रतिपदा ,
  • द्वितीय ,
  • तृतीय ,
  • चतुर्थी ,
  • पंचमी ,
  • षष्ठी ,
  • सप्तमी ,
  • अष्टमी ,
  • नवमी ,
  • दशमी ,
  • एकादशी ,
  • द्वादशी ,
  • त्रयोदशी ,
  • चतुर्दशी ,
  • पूर्णिमा ,
  • अमावास्या !
स्मृतियां -
  • मनु ,
  • विष्णु ,
  • अत्री ,
  • हारीत ,
  • याज्ञवल्क्य ,
  • उशना ,
  • अंगीरा ,
  • यम ,
  • आपस्तम्ब ,
  • सर्वत ,
  • कात्यायन ,
  • ब्रहस्पति ,
  • पराशर ,
  • व्यास ,
  • शांख्य ,
  • लिखित ,
  • दक्ष ,
  • शातातप ,
  • वशिष्ठ !

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भक्ति | Bhakti Jakhira | Bhakti bhajan sangrah: अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है।
अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है।
अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है। भारत की आत्मा को जानना है तो "सनातन धर्म" को समझना होगा। यह कोई मज़हब नहीं, बल्कि एक जीवन जीने की वैज्ञानिक, दार्शनिक और..
भक्ति | Bhakti Jakhira | Bhakti bhajan sangrah
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