शिव षडाक्षरी मंत्र: 'ॐ नमः शिवाय' का रहस्य, महत्व और चमत्कारी प्रभाव सनातन धर्म की परंपरा में जब भी आत्मा की शुद्धि, मोक्ष की प्राप्ति या ईश्वर से ...

शिव षडाक्षरी मंत्र: 'ॐ नमः शिवाय' का रहस्य, महत्व और चमत्कारी प्रभाव
सनातन धर्म की परंपरा में जब भी आत्मा की शुद्धि, मोक्ष की प्राप्ति या ईश्वर से एकत्व की बात होती है, तो भगवान शिव का स्मरण अवश्य आता है। उनके परम पवित्र मंत्र "ॐ नमः शिवाय" को षडाक्षरी मंत्र कहा जाता है। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।मंत्र की रचना: षडाक्षरी का अर्थ
षड का अर्थ होता है छह, और "अक्षरी" का अर्थ होता है अक्षरों से युक्त।ॐ नमः शिवाय – इस मंत्र में निम्नलिखित छह अक्षर होते हैं:
ॐ - न - म - शि – वा – य
यह मंत्र शिव के निराकार तत्व को दर्शाता है, जो ब्रह्मांड की मूल चेतना, मूल ऊर्जा और अस्तित्व की गहराई में विराजमान है।
प्रत्येक अक्षर का अर्थ
अक्षर | अर्थ | तत्त्व | भाव |
---|---|---|---|
ॐ | ब्रह्मांड की मूल ध्वनि | आकाश | ईश्वर की उपस्थिति |
न | नमन | पृथ्वी | स्थिरता और विनम्रता |
म | ममत्व का त्याग | जल | प्रवाह और समर्पण |
शि | शिव का बोध | अग्नि | शुद्धिकरण |
वा | वायु | जीवन ऊर्जा | प्राण शक्ति |
य | आत्मा | आकाश | आत्मा और शिव का एकत्व |
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्व
आत्मा का जागरण – यह मंत्र आत्मा को जाग्रत करता है और माया से मुक्त करता है।शिव तत्व की अनुभूति – इसके जप से साधक में शिव के गुण जैसे वैराग्य, करुणा, और निर्भयता विकसित होती हैं।
कुंडलिनी जागरण – मंत्र की कंपन ऊर्जा सुषुम्ना नाड़ी को सक्रिय कर चक्रों का शुद्धिकरण करती है।
ध्यान का मूल – ध्यान की गहराई में यह मंत्र स्वयं शिवस्वरूप में स्थापित हो जाता है।
विज्ञान की दृष्टि से 'ॐ नमः शिवाय' के लाभ
- मस्तिष्क में तरंगों का संतुलन बनता है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है।
- रक्तचाप नियंत्रित रहता है और हार्ट रेट संतुलन में आता है।
- सकारात्मक कंपन शरीर और वातावरण दोनों को ऊर्जा से भर देते हैं।
- एकाग्रता में वृद्धि करता है
- Meditation Therapy में आज "ॐ नमः शिवाय" का उपयोग इंटरनेशनल लेवल पर हो रहा है।
मंत्र जप की सही विधि
यदि विधिपूर्वक और श्रद्धा से इस मंत्र का जप किया जाए तो साधक अलौकिक अनुभव प्राप्त करता है।- समय: ब्रह्ममुहूर्त/ प्रात:काल या संध्या समय
- माला: रुद्राक्ष की माला, 108 बार जप,
- आसन : कुशासन, पद्मासन या सिद्धासन
- दिशा: पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके
- मंत्र उच्चारण : स्पष्ट, धीमी गति से, मन में लय सहित
- संख्या प्रारंभ में 11 या 21 माला प्रतिदिन, फिर बढ़ाएँ
शास्त्रों में उल्लेख
शिव पुराण – "जो व्यक्ति शिव का षडाक्षरी मंत्र श्रद्धा से जप करता है, वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।"योगशास्त्र – "यह मंत्र चेतना को सहस्रार तक ले जाने की शक्ति रखता है।"
लिंग पुराण – "जिसे इस मंत्र का जप सिद्ध हो गया, वह स्वयं शिवस्वरूप हो जाता है।"
यजुर्वेद में शिव को रुद्र के रूप में सम्बोधित किया गया है।
रुद्राष्टाध्यायी और श्रीरुद्रम् में "ॐ नमः शिवाय" का कई बार उल्लेख है।
कैवल्योपनिषद में शिव को ब्रह्म रूप बताया गया है और मंत्र को मोक्ष का मार्गदर्शक कहा गया है।
मंत्र का प्रभाव
- मानसिक शांति एवं संतुलन
- हार्दिक प्रेम और करुणा की वृद्धि
- भय, क्रोध, ईर्ष्या जैसे नकारात्मक भावों का अंत
- ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना
यह मंत्र हमें हमारे भीतर के शिव से मिलाता है — वह शिव जो शांत भी है और संहारक भी, जो त्यागी भी है और भोलेनाथ भी।
हर हर महादेव!
ॐ नमः शिवाय!
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